स्त्री खंत (अ-३९)

गुरुवरा एकचि खंत महान,

पुढील जन्मी पुत्रवती हो, ऐसे द्या वरदान ॥धृ.॥

साठ वयाची माझी काया

पुत्र सुखाविण गेली वाया 

यौवन सरले, निष्फळ काया

प्रपंच जणु वैराण                       ।। १।। 

कोण जाणतो पुढचे जीवन! 

या जन्माचे होईल विस्मरण 

इथेच देतो कन्या, नंदन 

पदरी, सौख्य निधान                   ।। २।। 

वांझपणाचे गेले दुषण 

कुस उजवली लाभे भूषण 

गुरुकृपेने बहरे जीवन 

गुरु सुखाची खाण                     ।। ३।।

Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]